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एक के दो, दो के चार में बीते सत्तर वर्ष काला धन बढ़ता रहा |

Manthan
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वेनेजुएला में क्रूड आयल के भंडार थे वह ओपेक का भी सदस्य था lजिससे वहाँ की आर्थिक नीति सुउदिया की तरह आयल पर निर्भर हो गयी तेल की कीमतें बढ़ रहीं थीं तब से वहाँ की सरकार ने जनता को सुख सुविधायें बांटी जनता की सरकार से अपेक्षायें भी बढ़ती रहीं |तेल की कीमतें गिरने से हालात खराब होते गये| आर्थिक स्थिति सुधारने के बजाय धड़ाधड़ नोट छापे गये आज वहाँ के नोटों की कीमत गिरती जा रही है जरूरत का सामान खरीदने के लिए लम्बी लाईने लगी हैं |नोट बंदी की गयी जनता सड़कों पर निकल आई सरकार को आदेश वापिस लेना पड़ा | ईरान में तेल के अथाह भंडार थे वहाँ के शाह ने जनता को जम कर सहूलियतें दी लेकिन वह देश की गरीब जनता तक नहीं पहुंच सकी उनकी गरीबी वैसी ही रही| समाज का एक वर्ग बहुत सम्पन्न था अंत में क्रान्ति आई वहां के शासक शाह को देश से निर्वासित होना पड़ा| इमाम खुमैनी की इस्लामिक सरकार आई उसने हर गरीब तक न्यूनतम सुविधायें पहुंचाई तेल की कीमतें बहुत ऊंचीं थी फिर भी जनता को एक दायरे में रहना सिखाया इराक ईरान में युद्ध चल रहा था देश के बाशिंदे बुरे दौर से गुजरे अभाव देखा ,सह गये तेल की कीमतें कम हो  रहीं है लेकिन ईरान में अधिक असर दिखाई नहीं देता क्योकि वहाँ के लोगों को कम में जीने की आदत पड़ चुकी थी | भारत में सत्ता पानी हैं नोट के बदले वोट लो या उपहार बांटों सता मिल जायेगी सत्ता को कायम रखना है और बड़ी –बड़ी घोषनायें करो यदि सत्ता को पीढ़ी दर पीढ़ी चलाना है फिर बांटते ही रहो| अपने वोट बैंक को डराते रहों, अहसास दिलाते रहो उन्हीं से उनका अस्तित्व है |

एक के दो ,दो के चार करते -करते 70 वर्ष बीत गये | धन दौलत जिसे कभी ताजा हवा भी नहीं लगती थी नोट बंदी के बाद 500,1000 के नोटों को आय कर के छापों के डर से पहले नदी नालों में फेंका अब उसकी बन्दर बाट हो रही है कुछ बैंक वालों की मदद से उसे सफेद किया जा रहा व्यापारी अपने कामगरों को बैंकों की लाइन में लगा कर जमा करवा रहे हैं फिर निकलवा रहे हैं |कुछ गरीबों के अकाउंट में इतना पैसा आ गया वह हैरान परेशान हैं उन पर लक्ष्मी की कृपा हुई है या किसी और की कृपा से धन कुछ समय के लिए उनके अकाउंट में आया है | जिस काले धन को धन कुबेरों ने अपनी अनगिनत पीढ़ियों के लिए एक वरदान समझ कर संजोया था वही उनको सारी रात करवटें बदलते पर मजबूर कर रहा है नींद की गोलियों की खरीद बढ़ गयी धन को ठिकाने लगाने के उपाय सोचने के लिए विवश हो गये सरकार ने काला धन सफेद करने का उपाय समझाया परन्तु उसमें सरकार बहुत बड़ा ले जायेगी |

चीन की एक कहावत है दौलत तीसरी पीढ़ी से खत्म होने लगती है वहाँ के सबसे बड़े नामी धनवान 92 अरब डालर के व्यापारिक एम्पायर के मालिक वांग जियालिनिल के बेटे नें अपने पिता की एम्पायर सम्भालने से इंकार कर दिया वह स्वयं अपनी मेहनत से पिता के समान व्यापार जगत में अपना नाम कमाना चाहता है उसके पिता जमीन से उठ कर आसमान की उचाईयों तक अपनी मेहनत से पहुंचे थे| अब वांग को उत्तराधिकारी चाहिए वह प्रोफेशनल मैनेजरों के ग्रुप से उत्तराधिकारी का चुनाव कर रहे हैं जो उनके व्यापार को सम्भालेगा | चाईना में भारत से भगवान बुद्ध की शिक्षायें पहुंची थी| एक राजकुमार ने परजन हिताय के लिए राज सुख, पिता का सिंहासन त्याग दिया| संसार में दुःख का कारण क्या है? दुःख निवारण कैसे हो ? तथागत (गौतम बुध )की साधना तपस्या के दूर-दूर तक चर्चे फैल गये उनके उपदेश भारत से लेकर मंगोलिया तक पहुंचे और बुद्ध धर्म का प्रचार प्रसार हुआ |चीन में बुद्ध धर्म फला फूला वहाँ के जन समाज की धारणाओं में भी मिल गया | भारत में कहावत प्रचलित है|

“ पूत कपूत तो क्यों धन संचय ,पूत सपूत तो क्यों धन संचय”  लक्ष्मी चलती फिरती रहती है यह चंचला है इसे तिजोरी में बंद कर नहीं रख सकते एक अच्छी सन्तान धन में वृद्धि करती है और कपूत सब कुछ बर्बाद कर देता है | सन्तान को कर्म प्रधानता की शिक्षा दो इससे सम्पत्ति बढ़ेगी | अकूत धन घटता बढ़ता रहता है खुल कर जिस धन से ऐश करते थे ऐश्वर्य का जीवन बिताते थे अब उसे बचाना मुश्किल है आगे भी बेनामी सम्पत्ति का चाक़ू लटक रहा है गोल्ड कंट्रोल का पहले से ही कानून है यदि सख्ती से लागू हो गया तो क्या होगा? पीढ़ियों के भविष्य के लिए दबाया सोना हीरे जवाहरात भी निकल जायेंगे या गले की फांस न बन जायेंगे | काला धन जोड़ने के कई तरीकों में टैक्स चोरी भी है कैसे टैक्स बचायें हर सम्भव उपाय अपनाये जाते हैं, फंस जाने पर मोटी  रिश्वत भी देने के लिए तैयार रहना पड़ता है | हमें सीमायें सुरक्षित चाहिए , देश तरक्की करे अत्याधुनिक टेक्नोलोजी चाहिए, बुलेट ट्रेन चलें अत्याधुनिक हवाई सेवा हो सड़कें चिकनी हों, जीवन सुरक्षित रखने के लिए पुलिस बल पर्याप्त हो और भी बहुत कुछ यह कैसे सम्भव होगा कितने परसेंट लोग आय पर टैक्स देते हैं? बहुत कम लोग | आजादी के बाद हमारे अधिकार क्या हैं? हमने सीखा है परन्तु कर्त्तव्य क्या हैं , राष्ट्र के प्रति भी हमारी ड्यूटी क्या है ?कभी नहीं सोचा |मौलिक अधिकार का चैप्टर भी सभी पढ़ते हैं , हर सरकार के काम में कमी निकालना ही हमने जाना है | यही चलता रहा देश कमजोर होता जाएगा|

हमारे सिर पर दो दुश्मन हैं पाकिस्तान और चीन हावी होने को तैयार| वर्षों की गुलामी से बड़े संघर्ष के बाद छुटकारा मिला था | यदि देश सुरक्षित है धन भी सुरक्षित रहेगा देश ही नहीं बचेगा काले धन के कुबेरों का क्या होगा ? परदेस में भी कितना काला धन विदेशी बैंकों में जमा किया हो उसको भी मौका पाते ही वहाँ सरकारें हडपने के चक्कर में रहती हैं |देश के साथ हम हैं | हम कहाँ जायेंगे कौन पनाह देगा विदेशों में काम करने वाले प्रवासियों से पूछों क्या वहाँ सब कुछ सुरक्षित है? प्रवासी से किसको दर्द होता है| ट्रम्प ने तो इमिग्रेंट के प्रश्न को उठा कर राष्ट्रपति पद का चुनाव जीता है | देश में बैंको से भारी कर्ज लेकर लौटाने के बजाय विदेशों में घर द्वार बनाये देश छोड़ कर चले गये पनाह देने वाले देश भी कब तक सगे रहेंगे तब स्थित बहुत दर्दनाक होती है |देश की मुख्य धारा में आना चाहिए धन बचाने के बजाय समय पर टैक्स दें शांति से जीवन बसर होगा  मेहनत से अपने हक का खाना , शांति से अपनी सन्तति को जीवन यापन सिखाना चाहिए |

डॉ अशोक भारद्वाज

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