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नोट बंदी से समाज का कौन सा वर्ग खुश है

Manthan
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‘वाकई भईया नया हिन्दुस्तान बन रहा है’ यह तंज हकीकत बनता दिख रहा है |नोट बंदी से गरीब और लोअर मिसिल क्लास सबसे अधिक खुश है क्योंकि वंचित वर्ग ने अर्थशास्त्र नहीं पढ़ा है परन्तु समझता खूब हैं यही वर्ग धनाढ्यों के हाथों धन की विपुलता काले धन की मार झेलता रहा है | सदियों से समृद्धि शाली  वर्ग मोटा दहेज देकर अपनी बेटियों के लिए विवाह योग्य लायक लड़कों को धन की चमक दिखा कर उठा कर दहेज की परम्परा को मजबूत करता है | शादियों की दावतों में  अनगिनित डिश की दावत देख कर आम इन्सान हतप्रभ रह जाता है | डोनेशन के बल पर अपने बच्चों का नामी स्कूलों में दाखिला दिलवाना, मेडिकल और इंजीनियरिग और प्रोफेशनल कोर्स में पीछे से कैपिटेशन से भर्ती करना |विदेशों में भी उत्तम संस्थानों की रिजर्व सीटों तक सन्तानों को पहचाना काले धन के बल पर सम्भव कर लेते हैं यहाँ मिडिल क्लास मात खा जाता है |काले धन से दुखी गरीब की वेदना न नेताओं को न धनाढ्य वर्ग को समझ में आती है न समझना चाहते मजबूर इसको अपने साथ के दोस्तों में व्यक्त करते हैं या अवसाद का मारा थोड़ी सी शराब पीकर बोलता है उन लोगों के सामने अपना दिल खोलता है जिनके बारे में वह आश्वस्त है उनका भी दर्द वही है पुराने जमाने में राजा रात को भेष बदल कर लोगों के मन की बात बाजारों और चौपालों पर सुन कर जमीनी सच्चाई से वाकिफ हो जाते थे |

एक अपना भी घर हो, पैसा जोड़-जोड़ कर जब समझता है पैसा उनके हैसियत के मकान खरीदने लायक हो गया बाजार में जब खरीदने निकलते हैं दाम उनकी पहुंच से बाहर हो गये हैं काले धन के हाथों अनेक मकान बेनामी प्रोपर्टी वालों के हाथ में पहुंच जाता है कई घरों में ताला ही लटकता रहता है | आम आदमी का सपना इन बंद घरों में कैद देख सकते हैं |कई बार साहूकारों से आसमानी ब्याज पर उधार लेने को मजबूर हो जाते हैं कई अपने घर अपनी जमीन गिरवी रख करते है ब्याज न चुका पाने की स्थिति में उन्हीं साहूकारों के बंधुआ मजदूर बनने पर मजबूर हो जाते हैं कई सब कुछ खो कर अवसाद में खुदकशी कर लेते हैं कितना दुखद हैं| अनगिनत कोठियां फ़ार्म हाउस तथा बेनामी फ्लेट की देखभाल करते गरीब चौकीदार क्या इस बात से अनजान रहते हैं यह किसका घर है क्यूँ  खाली पड़ा है| स्टोरों में जरूरत की बस्तुयें, अनाज ,दालें, चावल, तेल घी को स्टोर कर मौका देख कर महंगे दामों पर बेचना, स्टोर भी काले धन से होता है बेच कर भी काला धन ही बढ़ता है |

चुनाव के समय काला धन पानी की तरह बहाया जाता है नेताओं द्वारा कम्बल ,साईकिल ,सिलाई मशीन लेपटाप स्मार्ट फोन ,शराब बांटी और भी बहुत कुछ वोट खरीदने के लिए बांटा जाता है |पूरे वर्ष कई राजनेताओं के नाम पर सस्ती रसोई चलती है खाने का लालच देकर मतदाता का जमीर खरीदतें हैं |  चुनाव में धन द्वारा ही अनेक हथकण्डे अजमाए जाते रहे हैं | नेता चुनाव जीतने के बाद अपनी ही तिजोरियां भरते हैं यही नहीं अपना पुश्तैनी राज इसी धन से कायम करने की कोशिश करते हैं |

अंग प्रत्यारोपण के लिए  धनाढ्यों द्वारा गरीब का गुर्दा खरीदना, इंसानों की तस्करी ,मृत्युंजयी बनने के नुक्से काले धन की विपुलता से ही सम्भव हैं लेकिन इन काले धन की पेटियों और बोरो का बोझ भी गरीब नौकर से ही उठवाते हैं |कुछ ज्यादा दिहाड़ी के लिए मजदूर बैंकों की लाइनों में लगे नोट जमा कर रहे हैं , नोट निकाल रहे हैं | यह धनाढ्य गरीब वर्कर की तनखा नहीं बढ़ाएंगे परन्तु अपना काला धन ठिकाने लगाने के लिए कमिशन दे देंगे | राजनीतिक दल का कार्यकर्ता हो या किसी धनवान का वर्कर दिहाड़ी पर पैसा जमा करने या निकालने के लिए वही बैंक की लाइन में खड़ा अपने जनधन योजना के खाते में ब्लैक मनी को खपाने में मदद कर रहा है गरीब पर भी गलत काम का असर पड़ता ही है काले धन के छींटे  कमिशन के रूप में उस पर भी पड़ते हैं |नोट बंदी के बाद घर में रखे कटे फटे या जमा नोटों की गड्डियाँ बाजार में आ रही हैं जो दुकानदार सिक्कों को लेने से बचते थे ले रहे हैं उनकी वैल्यू हो गयी है|

गावँ या शहर का बैड करेक्टर हिस्ट्री शीटर मरता है, एनकाउंटर में मारा जाता है, किसी केस में फांसी या लम्बी सजा मिलती है सभी खुश होते हैं हाँ लोक व्यवहार में अंदरूनी ख़ुशी छुपा कर ऊपर से दुःख जाहिर करते हैं परन्तु सच्चाई कुछ और है अपनी ख़ुशी को छिपा नहीं सकते है | इन धनाढ्यों की सेवा करते उनको निरंतर फलता फूलता देखता हैं पैसे से भरे बिस्तरों पर सोता देखा था उसके सामने दुखी होने का नाटक करना कितना मुश्किल है | काले धन से फायदा उठाने वाले नकली नोटों के कारोबारी आतंकवाद के सौदागर हवाला कारोबारी  जिनका धंधा काले धन से ही चलता था आगे के प्लान बना रहे हैं | मजबूर गरीब ने सदा काले धन से मात खायी है अब मात देने की बारी उसकी है अब…

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