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बढ़ती जनसंख्या का जश्न मनाने वाले
भारत की बढती जनसंख्या से लाभ उठाने वाले हमारे चारो और मौजूद हैं जो बढ़ती जनसंख्या की खेती काटते हैं |
१.इंकलाब के नाम पर सरकार या व्यवस्था परिवर्तन का दम भरने वाले और जेहादी जनून फैलाने वाले
२.विदेशों धन ला कर (N.G.O.) सरकारी योजनाओं में हजारों कमी निकालने वाले तथा उसी पैसे से भीड़ जमा कर किसी योजना को अपने दानदाता की आज्ञा के अनुसार देश हित को योजनाओं में अडंगा डालने वाले |
3.बाल मजदूरी की कथा गा-गा कर अवार्ड पाने वाले लेकिन जो बाल मजदूरी के लिए अपने बच्चों को भेजते हैं उन्हें कभी यह सच नहीं कहते इतने बच्चे पैदा करो जितनों का भरण पोषण कर सकें ,क्योंकि वह समझते हैं यह समझाना या कहना इनके अपने हित में नहीं है |
४.नेता गरीबी हटाओ का नारा लगा कर अपना वोट बैंक बनाने वाले ,सस्ती बिजली और मुफ्त का पानी देने का वादा करने वाले |
५.राशन , अन्न का अधिकार देकर अपनी पीठ स्वयं ही थपथपाने वाले अनाज वितरण में घोटाले करने
वाले ऐसे बात करते हैं जैसे वही अन्नदाता हैं |
६.धर्म परिवर्तन के नाम पर विदेशों से पैसा खा कर यहाँ फोटो खीँचकर विदेशियों से दान की वसूली करने वाले |सभी धर्म गुरुओं को समझना चाहिए धरती घट रही है अनाज की पैदावार भी एक समय रुक जायेगी | अपने ही साधनों पर जीना पड़ेगा |
7.देश की वंचित आबादी के कुपोषण का ढोल बजा कर या मिड डे मील स्कूलों में बाँट कर उसमें भी खा जाने वाले |
8.साईकिल , लेपटाप,सस्ता इडली डोसा ,सस्ता अनाज , मुफ्त कम्बल तथा टी.वी. आदि वांट कर चुनाव में वोट बटोरने वाले |
९. शिक्षा के अधिकार का ढोल बजा कर गरीबों पर एहसान कर उन्हें ब्लैक मेल करने वाले, ऐसी शिक्षा स्कूलों में दी जाये जिससे नाममात्र के साक्षरों की संख्या बढ़े परन्तु उन्हें नौकरी न मिले ताकि उनकी गुजर बसर हो सके | जरूरत जबकि स्किल एजुकेशन की है ऐसी शिक्षा जो विश्व में मान्य हो |
१०.विदेशों से पैसा डालर यूरो लाकर गरीबों को प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराना या इस्लामिक मदरसों में धार्मिक कट्टरता की शिक्षा देकर जेहादी तैयार करना गरीबों की गरीबी का फायदा उठाना |
११. हमारे देश में कर्मवाद का सिद्धांत है कर्म के बजाए गरीबों , वंचितों को टकटकी लगाये कातर निगाहों से आज के वोटों से चुने गये पांच साल के राजाओं का सिजदा करते हुए देख कर नेताओं का अहम पोषित होता हैं उन्हें इन लोगों को निरीह आँखों से देखते रहने की आदत पड़ गई है |
१२.देश को मुश्किलों , बरबादियों का घर बनते देख कर भी देश के लिए कोई भी संवेदना नहीं रखने वाले नेताओं को झेल-झेल कर जनता को यह लगने लगा है हमारे देश का दर्द दिल में रखने वाले देश भक्त नेता क्यों इन पुराने ढर्रे पर चलने वाले नेताओं के सामने मजबूर कर दिए जाते हैं |
कौन करेगा परिवार नियोजन की बात या चिंता ? ताकि स्वस्थ शिक्षित आबादी देश में बढ़े और देश मजबूती के साथ के साथ स्वस्थ नागरिकों के दम पर विश्व में अपनी जगह बनाये और पड़ोसियों की बुरी नजर से देश की रक्षा कर सके जिससे आने वाली नस्लों का भविष्य सुरक्षित और उज्ज्वल हो |समझ में नहीं आता कब तक गरीब और देश की गरीबी राजनितिज्ञो की तोपों में बारूद की तरह इस्तेमाल होती रहेगी ?कब तक गरीबी की सीढियों पर चढ़ कर हमारे नेता अपनी राजनितिक महत्वकांक्षाओं की पूर्ति करते रहेंगे|
DR Ashok Bharadwaj
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