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हवाई वादे कुटिल इरादे

Manthan
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हवाई वादे कुटिल इरादे

वादों की यूँ झड़ी लगाते आपके ये सारे लाल

सब को सब कुछ दे डालूँगा चाहे देश बने कंगाल

हवाई वादों की फैक्ट्री चलेगी, दिन और रात

अर्थ शास्त्र की बात न माने करे बेतुकी बात

चाँद पर सबको घर दे दूंगा करेंगे इक दिन वादा

बिन घर वाले को,एक मिलेगा घर वाले को  कुछ ज्यादा

हवाई वादों के चक्कर में हुए कई देश बर्बाद

ईजिप्त ,सीरिया ,इराक लीबिया पछताते हैं आज

पानी फ्री कर देंगे ‘आपके’ सारे नदी और बाँध

हवा से बिजली बन जायेगी, देखोगे साँसे साध

हवा हवाई घर दे देंगे सब घर में खाना पहुंचेगा

इनकी कैटरिंग खुद की होगी मंहगाई होगी साफ़

पड़े –पड़े घर रोटी खायें फ्री में ए सी फैन चलायें

यह सब सपने जैसा हो जाए फिर नींद से जागें आप (जनता)

N.G.O.विदेशी धन से चलते करते कठपुतली सा नाच

दान देने वालों की शर्त ये माने, नहीं इनके कुछ हाथ

सिक्का वही पुराना चलता राजनीति का खेल

जो न बांटे खुले हाथ से हो जाए वह  फेल

जनता अगर समझ जायेगी इन झूठों की बात

पहुंचाएगी इनको कूड़े में, बिना वोट और खाली हाथ        डॉ अशोक भारद्वाज

नेता करते जाते वादे,नेक नहीं इनके इरादे

हम सबको सब मुफ्त चाहिए ,काला धन भी गुप्त चाहि

काम नहीं करते अधीर ,बढती जाती है बस भीड़     श्री जवाहर जी ने अपनी प्रतिक्रिया में यह पंक्तिया जोड़ी हैं

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